मंत्र विद्या : जैन दृष्टि
मानव जीवन दुर्लभ है। उसका अन्तिम साध्य आवागमन के बंधन से उन्मुक्त होना है। जिसका एकमात्र साधन है धर्म—आराधना। धर्म...
मानव जीवन दुर्लभ है। उसका अन्तिम साध्य आवागमन के बंधन से उन्मुक्त होना है। जिसका एकमात्र साधन है धर्म—आराधना। धर्म...
सारांशद्वादशांग जिनवाणी के बारहवें दृष्टिवादांग के १४ पूर्वों में १०वाँ विद्यानुवाद पूर्व है जो तंत्र,मंत्र एवं यंत्र से सम्बद्ध है।...
सारांशम.प्र के अशोकनगर जिले मेंस्थित चन्देरी जैन कला के प्रयोग तो महत्त्वपूर्ण है ही यहाँ पर स्थित पाषाण यंत्र भी...